Antarvasna, hindi sex story:
Wah pahli chudai ki raat मेरी छोटी बहन कहने लगी कि भैया क्या आप मुझे मेरे स्कूल तक छोड़ देंगे तो मैंने उसे कहा ठीक है मैं तुम्हें तुम्हारे स्कूल तक छोड़ देता हूं। वह तैयार हो चुकी थी और मैं अपनी बहन को छोड़ने के लिए उसके स्कूल तक चला गया वह स्कूल में टीचर है। मैंने उसे स्कूल छोड़ा और फिर मैं घर वापस लौट आया मैं तैयार हो चुका था और मैं अपनी शॉप में जाने की तैयारी कर रहा था। कानपुर में मेरी गारमेंट शॉप है और पापा उसे पिछले कई वर्षों से चलाते आये हैं लेकिन अब मैं ही उस गारमेंट शॉप को देख रहा हूं। मैं अपनी शॉप पर पहुंचा तो उस वक्त 9:00 बज रहे थे शॉप में काम करने वाले लड़के साफ सफाई कर रहे थे थोड़ी देर बाद साफ सफाई हो चुकी थी तो मैं शॉप में ही बैठा हुआ था। जब हमारी दुकान में सबसे पहले कस्टमर आए तो उन्होंने काफी खरीदारी की मैं काफी खुश था और उस दिन काफी अच्छा दिन था मैं जब घर लौटा तो मां मुझे कहने लगी कि बेटा मैं तुम्हारे लिए चाय बना देती हूं।
मैंने मां से कहा हां मां मेरे लिए आप चाय बना दो मां ने मेरे लिए चाय बना दी और मैं चाय पी रहा था। पापा के एक दोस्त घर पर आने वाले थे मुझे यह बात पता नहीं थी जब वह घर पर आए तो पापा और उनके दोस्त बैठे हुए थे वह लोग आपस में बात कर रहे थे। पापा ने सुनीता की शादी की बात कर ली थी पापा चाहते थे कि सुनीता की शादी उनके दोस्त के बेटे से हो और उन्होंने इस बारे में अपने दोस्त से बात कर ली थी। सुनीता को जब अपनी शादी के बारे में पता चला तो वह पापा और मम्मी से कहने लगी कि मैं अभी शादी नहीं करना चाहती पापा ने कहा कि बेटा मैं कौन सा तुम्हें कह रहा हूं कि तुम आज ही शादी करो पहले तुम लड़के से मिल लो और उसके बाद ही तो तुम फैसला करोगी। सुनीता ने भी कहा ठीक है मैं लड़के से मिलूंगी और कुछ दिनों बाद वह जब लड़के से मिली तो सुनीता को लड़का पसंद आ चुका था क्योंकि वह विदेश में नौकरी करता है और उसे सुनीता की नौकरी करने से भी कोई आपत्ति नहीं थी लेकिन सुनीता चाहती थी कि वह कम से कम एक वर्ष बाद ही शादी करें। पापा भी इस बात के लिए तैयार थे और अब सुनीता और सुनील की सगाई हो चुकी थी उन दोनों की सगाई हो जाने के बाद सुनीता को एक वर्ष के लिए शादी का समय मिल चुका था सब लोग घर में बहुत ही खुश थे।
एक वर्ष का पता ही नहीं चला कि कब एक वर्ष बीत गया और उसके बाद सुनीता और सुनील की शादी हो चुकी थी उनकी शादी बड़े ही धूमधाम से हुई और हमारे सारे रिश्तेदार भी बहुत खुश थे। सुनीता अपने ससुराल जा चुकी थी उसके बिना घर काफी सुना सा लग रहा था। मैं अपनी गारमेंट शॉप देख रहा था मेरा काम भी बहुत अच्छे से चल रहा था इसी बीच एक दिन एक लड़की दुकान में शॉपिंग करने के लिए आई जब मैंने उसे देखा तो उसे देख कर मुझे काफी अच्छा लगा उसने हमारी दुकान से शॉपिंग की और उसके बाद वह चली गई। अब उसके बाद वह अक्सर दुकान में आने लगी जब भी वह दुकान में आती तो मुझसे जरूर बात किया करती। एक दिन मैंने उससे उसका नाम पूछ ही लिया तो उसने मुझे अपना नाम बताया उसका नाम अंकिता है। अंकिता से जब भी मैं मिलता तो मुझे बहुत अच्छा लगता मुझे वह बहुत ही ज्यादा अच्छी लगने लगी थी और एक दिन मैंने अंकिता से कहा कि क्या वह मेरे साथ कॉफी पर चल सकती है। अंकिता ने पहले तो कुछ देर तक सोचा उसके बाद उसने कहा कि हां मैं आपके साथ चल सकती हूं और उस दिन हम दोनों कॉफी शॉप में चले गए। मेरी शॉप के पास ही कॉफी शॉप है वहां पर हम दोनों साथ में बैठ कर बात कर रहे थे उस दिन मुझे अंकिता के बारे में काफी कुछ जानने का मौका मिला। अंकिता ने मुझे अपने बारे में बताया और उसने बताया कि उसके पापा ने हीं उसकी देखभाल की है क्योंकि उसकी मम्मी का देहांत बचपन में ही हो गया था अंकिता की एक छोटी बहन भी है। अंकिता से बात करके मुझे बहुत अच्छा लगा और उसके बारे में मुझे काफी कुछ चीजें पता चल चुकी थी मैं बहुत ज्यादा खुश था और अंकिता के साथ समय बिताकर मुझे काफी अच्छा भी लगा। उस दिन हम लोग साथ में एक घंटे तक बैठे रहे लेकिन एक घंटे का पता ही नहीं चला मुझे तो ऐसा लग रहा था कि शायद एक घंटा भी कम हो गया है हम लोगों को और समय साथ में बिताना चाहिए था। अब अंकिता मेरी दुकान में अक्सर आया करती और वह हमेशा मेरी शॉप से ही शॉपिंग किया करती थी मैं भी अंकिता को मिलता ही रहता था। हम दोनों की बात तो काफी आगे तक बढ़ चुकी थी और हम दोनों एक दूसरे के साथ काफी समय बिताने लगे थे हम दोनों की बातें काफी अधिक होने लगी थी और फोन पर हम दोनों एक दूसरे से काफी बातें किया करते हैं।
एक दिन मैंने यह सोच लिया था कि आज मैं अंकिता को अपने दिल की बात कह कर ही रहूंगा और उस दिन मैंने अंकिता को अपने दिल की बात कह दी अंकिता भी मना ना कर सकी और उसने मेरे रिश्ते को स्वीकार कर लिया। मैं तो इस बात से बहुत खुश था और उतनी ही खुशी अंकिता को भी थी अंकिता चाहती थी कि मैं अंकिता के पापा से मिलूँ लेकिन मैंने अंकिता को कहा कि मुझे थोड़ा समय चाहिए अंकिता ने कहा ठीक है। एक दिन हम दोनों साथ में बैठे हुए थे मुझे नहीं पता था कि अंकिता के पापा हम दोनों को देख लेंगे उन्होंने हमें देखते ही मुझे बहुत डांटा। अंकिता ने उन्हें सब कुछ सच बता दिया था। जब अंकिता ने उन्हें सच बताया तो उन्होंने मुझे अगले दिन घर पर आने के लिए कहा और मैं अगले दिन उनके घर पर चला गया। मैं जब घर पर गया तो उन्होंने मौसम की ताजा बारे में बात की और कहा कि मैंने अंकिता का बचपन से ही बहुत ध्यान रखा है क्या तुम भी उसका ध्यान रख पाओगे। मैंने उन्हें कहा हां मैं अंकिता का ध्यान रख पाऊंगा और अंकिता से बहुत प्यार करता हूं।
वह मेरे परिवार वालों से मिलना चाहते थे और मुझे भी अब अपने परिवार वालों को यह बात बतानी पड़ी उन्हें भी इस रिश्ते से कोई आपत्ति नहीं थी और दोनों ही परिवार अब शादी के लिए राजी हो चुके थे। कुछ समय बाद हमारी शादी भी हो चुकी थी और अंकिता मेरी पत्नी बन चुकी थी अंकिता के साथ मै अपनी पहली रात को यादगार बनाना चाहता था और पहली रात जब मैंने अंकिता के साथ सेक्स किया तो वह बडी खुश हो गई। मैं पूरी तैयारी के साथ गया था और अंकिता बिस्तर पर बैठी हुई थी मैंने अकिंता के बदन से कपड़े उतारे और कुछ देर तक मैं उसके नंगे बदन को महसूस करता रहा। उसकी चूत देखकर मेरा लंड बहुत ज्यादा तन कर खड़ा हो चुका था। मैंने उसकी चिकनी चूत पर अपनी जीभ से चाटना शुरू किया और उसकी चूत को मैं बहुत देर तक चाटता रहा। उसकी चूत को चाटकर मेरे अंदर गर्मी बढ रही थी मैंने उसकी चूत से इतना ज्यादा गर्म पानी बाहर निकाल दिया था कि वह अपनी चूत मे उंगली डालने की कोशिश करने लगी। मै उसको तड़पाना चाहता था और उसको मैंने इतना ज्यादा तडपाया कि वह अब मेरे लंड को अपने मुंह में लेने लगी। उसने मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर ले लिया जब वह मेरे लंड को चूस रही थी तो उसे बहुत ही मजा आ रहा है। उसने बहुत देर तक मेरे लंड को ऐसे ही चूसा जिससे कि उसकी उत्तेजना बहुत ज्यादा बढ़ चुकी थी। उसने मुझे कहा अब मैं बिल्कुल भी नहीं रह पा रही हूं मैंने उससे कहा रहा तो मुझसे भी नहीं जा रहा है। यह कहते ही मैंने अपने लंड पर तेल की मालिश की ओर अंकिता की चूत के अंदर मैंने अपने लंड को घुसाया।
अंकिता की चूत पर मेरा लंड लगते ही मुझे गर्मी का एहसास हुआ और मैंने धीरे से उसकी चूत के अंदर अपने लंड को घुसाया। जब मेरा लंड उसकी चूत के अंदर चला गया तो वह बड़े जोर से चिल्लाई और मुझे कहने लगी मुझे और भी तेजी से चोदो। मैंने अंकिता को तेजी से धक्के मारे वह खुश हो गई और मुझे कहने लगी ऐसे ही चोदते रहो लेकिन जब मैंने उसकी चूत की तरह देखा तो उसकी चूत से खून निकल रहा था। उसकी चूत से बहुत खून निकलने लगा था चादर खून से लाल हो चुकी थी। अब मैं समझ गया कि मैंने अंकिता की सील तोड़ दी है जिसके बाद वह इतनी गर्म होने लगी कि मुझे लग रहा था उसे मुझे घोड़ी बना कर ही चोदना पड़ेगा। मैंने उसे घोड़ी बना दिया वह बिस्तर के सहारे खड़ी थी। मैंने अपने लंड को एक ही झटके मे अंकिता की चूत के अंदर घुसा दिया मेरा लंड उसकी चूत के अंदर घुस चुका था। अब मैं उसे इतनी तेजी से धक्के मारने लगा वह मुझे कहने लगी तुम ऐसे ही मुझे धक्के देते रहो मैं उसकी चूतड़ों को पकड़कर बड़ी तेजी से धक्के मार रहा था।
अंकिता को चोदकर मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था उसकी गोरी चूतडो को जब मैं देख रहा था तो मुझे उसे धक्के देने में इतना मजा आता। जब मेरे लंड से कुछ ज्यादा ही आग बाहर की तरफ निकलने लगी तो मैंने अपने लंड को बाहर निकाला और अंकिता से कहा तुम इसे चूस लो। अंकिता ने भी मेरे लंड को अपने गले के अंदर लिया और वह सकिंग करने लगी बहुत देर तक उसने ऐसे ही सकिंग किया। जब मेरे लंड से वीर्य बाहर निकला तो वह मुझे कहने लगी तुम्हारा वीर्य बाहर निकल चुका है। थोड़ी देर आराम करने के बाद मेरे अंदर का जोश दोबारा से जाग चुका था मैंने दोबारा से अंकिता के साथ सेक्स करना शुरू किया उसकी चूत मार कर मुझे बहुत ही मजा आ रहा था। उसके साथ उस दिन मैंने पूरी रात सेक्स किया अंकिता बड़ी खुश थी रात भर हम दोनों ने सेक्स के मज़े लिए। मेरा जब भी मन होता तो अंकिता को चोदकर अपनी इच्छा पूरी कर लिया करता हूं क्योंकि वह मेरी पत्नी है।
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